Sustainability for a Better World

कुछ करने से ही समाज में पहचान बनती है।

छोटे कदम ही बड़े इरादों तक ले जाते हैं –

रायपुर ज़िले के धरसींवा ब्लॉक के तिवरैया गाँव की आरती साहू कुछ बदली बदली सी हैं। आरती अपने गाँव तिवरैया में गुणवत्ता शिक्षा को ले कर अभियान चला रही हैं। पढ़ने लिखने में आरती बचपन से ही अच्छी रहीं। जीव विज्ञान में स्नातक करने के बाद अभी वह “लोक प्रशासन” में स्नातकोत्तर कर रही हैं। आरती के इरादे बड़े हैं और वह जानती हैं कि हर बड़े इरादे को पूरा करने के लिए छोटे कदम जरूरी हैं।

कुछ करना है तो कर डालिये –

सितम्बर 2020 में बालिकाओं की गुणवत्ता युक्त प्राथमिक शिक्षा को समर्पित अभियान “ज्ञानशाला” से आरती का परिचय हुआ। आरती इस अभियान से खासी प्रभावित हुई और सहर्ष इस से जुड़ कर अपने गाँव में बच्चियों को पढ़ाने लगीं। ज्ञानशाला के माध्यम से बच्चों को पढ़ाना उन्हें बहुत अच्छा लगा। प्रारम्भ में उनकी ज्ञानशाला में पांच छह बच्चे आते थे। उन्होंने उतने ही बच्चों को पूरे मनोयोग और रचनात्मकता से पढ़ाना शुरू किया। देखते ही देखते उनके पढ़ाने के तरीके से प्रभावित होकर अब उनके पास अलग अलग पालियों में 30 बच्चे बच्चियां पढ़ने आते हैं।

आप समाज को देंगे तो समाज भी आपको देगा –

उनके गांव के पैरंट्स अपने बच्चों को खुद छोड़ने आते हैं। आरती अपने बच्चों को ले कर काफी उत्साहित रहती हैं। वह बच्चों को कुछ अलग तरीके से पढ़ाती हैं – जैसे खेलकूद, कहानी, गीत, कविता, जनरल नॉलेज, पेंटिंग और तरह तरह के किट्स के माध्यम से। रुचिकर तरीके से पढ़ाने से बच्चे पढ़ाई में रुचि लेते हैं। बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए आरती बीच-बीच में बच्चों की विशेष प्रशंसा भी करती हैं। वह कहती हैं कि उन्हें स्वयं विश्वास नहीं होता कि बच्चे इतनी ख़ुशी ख़ुशी और इतनी तेजी से सीख सकते हैं। बच्चों के विकास को देखकर हर शनिवार को पेरेंट्स खुद आकर उनसे मिलते हैं। उनके प्रयासों से प्रभावित पालक स्वतः उन्हें कुछ प्रोत्साहन राशि या फिर भाव बोध हेतु कोई वस्तु भी दे जाते हैं। गाँव में बच्चियों की शिक्षा को ले कर एक सकारात्मक माहौल बन रहा है।

थैंक यू ज्ञानशाला –
आरती साहू ज्ञानशाला की प्रत्येक साप्ताहिक प्रशिक्षण से जुड़ती हैं। वह कहती हैं – मुझे ज्ञानशाला के ट्रेनिंग से बच्चों को पढ़ाने का सरल से सरल एवं नए से नया तरीके सीखने को घर बैठे मिल जाता है। मैं ज्ञानशाला का धन्यवाद करना चाहती हूं। आज बच्चों और विशेषकर बच्चियों को आगे बढ़ता देख कर मुझे बहुत ख़ुशी मिलती है। सभी बच्चों के अभिभावक अब मुझे आदर से मिलते हैं, अपनी परेशानियों पर राय मांगते हैं, बच्चों के लिए मार्गदर्शन लेते हैं। तिवरैया गाँव में अब मेरी पहचान ही अलग है। ज्ञानशाला ने आगे बढ़ने का हौसला दिया, कुछ ईमानदार पहल की प्रेरणा दी। अब तो बस बढ़ते ही जाना है, थैंक यू ज्ञानशाला।